Mahakaaleshwar,Ujjain
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है | हिन्दू धर्मग्रंथो के अनुसार भगवान् शिव के बारह शिवलिंगों में से एक शिवलिंग यहाँ विद्यमान है | यह मंदिर रूद्र सागर नामक नदी के तट पर स्थित है | यहाँ स्थित शिवलिंग को स्वयंभू तथा शक्तिउपसना का केंद्र माना गया है, इसलिए यहाँ मंत्रशक्ति के द्वारा शक्ति उषर्जन की क्रिया प्रचलित है | महाकालेश्वर की अंश्मुर्ती को दक्षिणामूर्ति कहा गया है, जिसका अर्थ है दक्षिण की ओर मुख किये हुए | यह स्थिति तांत्रिक क्रिया के लिए अत्तुपुक्त मानी गई है, अतः इस स्थान को तांत्रिक क्रिया तथा शक्ति उपासना के लिए अन्य सभी १२ ज्योतिर्लिंगों से अधिक उपुक्त माना गया है |महाकालेश्वर मंदिर में भगवान् गणेश, माता पार्वती तथा कार्तिकेय की मूर्ति, क्रमश पश्चिम, उत्तर तथा पूर्व दिशा की ओर मुख किये विद्धमान है | दक्षिण दिशा की ओर भगवान् शंकर के वाहक नंदी की प्रतिमा विराजमान है | तृतीय माले पर स्थित भगवन नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा का दर्शन केवल नागपंचमी के दिन किया जा सकता है | मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, तथा वातावरण अविस्मर्णीय है |
Mahalaleshwar Arti
यह मान्यता है की उज्जैन को भगवान् शिव की विशेष कृपादृष्टि प्राप्त है तथा विशेष तांत्रिक क्रिया तथा पूजा के लिए उपुक्त स्थान माना गया है | पौराणिक काल से महाशिवरात्रि को यहाँ विशेष तांत्रिक क्रिया की जाती है तथा रात भर महाशिव आरती की जाती है, यह प्रथा आज भी जीवंत है | ज्योतिषिय ज्ञान प्राप्ति तथा क्रिया के लिए भी उज्जैन को उपुक्त माना गया है |
Mahakaal
About Ujjain
पुराणों में उज्जैन का उल्लेख अति पवित्र स्थान तथा देवताओं की नगरी के रूप में किया गया है | पुराणों में उल्लेख है की जब देवता तथा दानवो ने समुद्र मंथन कर अमृत की प्राप्ति की थी तथा जब अमृतपान के लिए देवताओं तथा दानवो में युद्ध हो रहा था तब उस अमृत की कुछ बुँदे धरती पर भी गिरी थी, जिन स्थानों पर वो बुँदे गिरी थी उन्हें हरिद्वार, नासिक, उज्जैन तथा प्रयाग के नाम से जाना गया | अत: यह स्थान हिन्दुओ के लिए अति पवित्र माने गए | उज्जैन अपनी पवित्रता और कुम्भ मेले के लिए अत्यंत प्रस्सिध है | हर बारह वर्ष के बाद यहाँ कुम्भ मेले का आयोजन होता है | इस नगर पर विक्रमादित्य तथा अशोक जैसे महान राजाओं का राज रहा है | आज उज्जैन पौराणिक तथा आधुनिकता के समागम का परिचायक है |